रूस में 'गिओर्गी रिबन अभियान' शुरू हो गया है। आपके मन में सवाल उठा होगा-- क्या है यह 'गिओर्गी रिबन अभियान'। जैसाकि आप जानते हैं, 1941 से 1945 तक द्वितीय विश्वयुद्ध हुआ था। और इस दूसरे विश्वयुद्ध की शुरूआत रूस पर (जो तब सोवियत संघ कहलाता था) जर्मनी के तानाशाह शासक हिटलर की फ़ासीवादी सेनाओं के हमले से हुई थी। हिटलर ने यह सपना देखा था कि वह सारी दुनिया को जीत लेगा और बीसवीं शताब्दी में पूरे विश्व का सम्राट बन जाएगा। पहले हिटलर ने जर्मनी के आसपास के देशों पर कब्ज़ा किया और उसके बाद रूस पर हमला बोल दिया। रूसी सेना और रूस की जनता ने बड़ी बहादुरी से हिटलर की फ़ासिस्ट जर्मन सेना का सामना किया और 9 मई 1945 के दिन हिटलर के विश्व-विजय के सपने को चूर-चूर कर दिया। तब से 9 मई के दिन रूस और पूरी दुनिया में लोग द्वितीय विश्वयुद्ध में विजय की स्मृति में विजय-दिवस मनाते हैं।
रूस में दूसरे विश्वयुद्ध को 'महान देशभक्तिपूर्ण युद्ध' कहकर पुकारा जाता है। विजय-दिवस के अवसर पर रूस में विजय के प्रतीक के रूप में युवा क्लब और छात्र-संगठन 'गिओर्गी रिबन' को जनता के बीच बाँटते हैं और 9 मई का दिन आने से दस-पन्द्रह दिन पहले से ही लोग पिन से यह रिबन अपनी छाती पर टाँक कर घूमने लगते है। नारंगी और काले रंग की रिबन की इस पट्टी को अपनी छाती पर लगाने का मतलब है-- "हम भी फ़ासिज़्म के विरोधी हैं और फ़ासीवाद या नाज़ियों से लड़ने वाले वीर सैनिकों को नमन करते हैं और द्वितीय विश्वयुद्ध में शहीद हो गए करोड़ों लोगों को अपनी श्रद्धांजलि देते हैं।
नारंगी और काले रंग की पट्टियों वाला यह रिबन 'गिओर्गी रिबन' इसलिए कहलाता है क्योंकि दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान वीर सैनिकों को जो 'गिओर्गी पदक' दिया जाता था, वह इसी तरह के रिबन में लटका होता था। रूस में 'गिओर्गी' विजय के देवता का नाम है-- वह देवता जो युद्ध में जीत दिलाता है। भारत के 'परमवीर चक्र' की तरह यह 'गिओर्गी पदक' भी द्वितीय विश्वयुद्ध में असीम शौर्य का प्रदर्शन करने वाले वीर सैनिकों को उनकी बहादुरी के लिए दिया जाता था।
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इतनी अच्छी जानकारी के लिए आपका बहुत बहुत आभार ।
जवाब देंहटाएंओह दुसरे ब्लॉग पर वर्ड वेरिफिकेशन लगा था और हमने आपको टिप्पणी कर दी है.
जवाब देंहटाएंक्षमा चाहेंगे.
शुभकामनाओं सहित,
आपका अपना,
ई-गुरु राजीव.
" ब्लॉग्स पंडित "
एक महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए भाई जनविजय जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंहिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंदूसरे महायुद्ध में फ़ासीज्म की पराजय मानवीय मूल्यों के पुनर्स्थापना के अभियान विजय है।जानकारी पूर्ण लेख के लिये बधाई!
जवाब देंहटाएंदूसरे महायुद्ध में रूस के हाथों फ़ासीज्म की पराजय मानवीय मूल्यों के पुनर्स्थापना- अभियान की विजय कही जा सकती है। लेख के लिये बधाई!
जवाब देंहटाएंदूसरे महा युद्ध में रूस के हाथों हिटलर की पराजय मानवीय मूल्यों के पुनर्स्थापना अभियान की गौरवशाली विजय थी। लेख के लिये बधाई!
जवाब देंहटाएंगियार्गी रिबन के बारे में जानकार बहुत अच्छा लगा . ज्ञानवर्धन के लिए धन्यवाद .
जवाब देंहटाएंआप हिंदी में लिखते हैं। अच्छा लगता है। मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं..........हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत हैं.....बधाई स्वीकार करें.....हमारे ब्लॉग पर आकर अपने विचार प्रस्तुत करें.....|
जवाब देंहटाएंआप हिंदी में लिखते हैं। अच्छा लगता है। मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं..........हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत हैं.....बधाई स्वीकार करें.....हमारे ब्लॉग पर आकर अपने विचार प्रस्तुत करें.....|
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
जवाब देंहटाएंकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
महोदय, आपने रुसी संस्कृति से जुड़ी जो एक महत्वपूर्ण जानकारी दी है वह अच्छी लगी |
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